हरियाणा सरकार द्वारा पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम

हरियाणा सरकार द्वारा पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम

हरियाणा सरकार द्वारा पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम

चंडीगढ़, 23 जुलाई। हरियाणा सरकार द्वारा राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने और प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग सुनिश्चित करने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बुधवार को पंचकूला जिले के मोरनी क्षेत्र में नवीनीकृत नेचर कैंप थापली का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने नवीनीकृत इको-कुटीर का भी उद्घाटन किया। साथ ही उन्होंने आयुर्वेदिक पंचकर्मा केंद्र का निरीक्षण कर वहां उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं का भी जायजा लिया।

इस अवसर पर पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव मंत्री राव नरबीर सिंह और कालका की विधायक श्रीमती शक्ति रानी शर्मा भी उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री ने यहां कालका से कलेसर तक बनाए गए नेचर ट्रेल पर ट्रैकिंग के लिए एक दल को झंडी दिखाकर रवाना किया। यह ट्रैक हरियाणा के युवाओं को साहसिक पर्यटन की ओर आकर्षित करेगा और राज्य को एडवेंचर व नेचर टूरिज्म हब के रूप में नई पहचान दिलाने में मदद करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि साहसिक पर्यटन आज की युवा पीढ़ी की रुचि से जुड़ा हुआ क्षेत्र है और इससे न केवल पर्यटन का विस्तार होगा बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।

पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण का संदेश

मुख्यमंत्री ने मोरनी क्षेत्र में स्थित त्रिफला वाटिका में पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और सतत विकास के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हम पर्यटन को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि प्रकृति, संस्कृति और स्वास्थ्य के साथ जोड़ने के प्रयास कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने नेचर कैंप में स्थापित क्लाइमेट चेंज लर्निंग लैब का भी अवलोकन किया। इस लैब में बच्चे पर्यावरण को प्रभावित करने वाले कारणों और उनके समाधानों को खेलों के माध्यम से जान सकते हैं। इस प्रकार की लर्निंग लैब न केवल बच्चों को वैज्ञानिक तथ्यों से जोड़ती है, बल्कि उन्हें पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में प्रेरित भी करती है।

पर्यटन बढ़ने के साथ साथ स्थानीय संस्कृति और प्रकृति संरक्षण को भी मिलेगा बल

मुख्यमंत्री ने कहा कि मोरनी क्षेत्र की भौगोलिक सुंदरता, जैव विविधता और शांत वातावरण इसे प्राकृतिक पर्यटन के लिए अत्यंत उपयुक्त बनाते हैं। सरकार की रणनीति इस क्षेत्र को एक समग्र इको-टूरिज्म मॉडल के रूप में विकसित करने की है, जिससे स्थानीय लोगों की भागीदारी और संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा।

उन्होंने कहा कि इन पहाड़ी क्षेत्रों में सुविधाओं के विकास से जहाँ एक ओर अधिक पर्यटक आकर्षित होंगे, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों को रोजगार और व्यवसाय के नए अवसर मिलेंगे। सरकार का प्रयास है कि ऐसे क्षेत्रों को स्वास्थ्य पर्यटन, योग, आयुर्वेद और साहसिक गतिविधियों के केंद्र बनाकर प्रदेश में सतत पर्यटन विकास को बल दिया जाए।

इस अवसर पर पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण, प्रधान मुख्य वन संरक्षक विनीत कुमार गर्ग, मुख्यमंत्री के ओएसडी भारत भूषण भारती सहित अन्य उपस्थित रहे।

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