किसान पर्यावरण अनुकूल खेती पर दें जोर – राणा

किसान पर्यावरण अनुकूल खेती पर दें जोर - राणा

किसान पर्यावरण अनुकूल खेती पर दें जोर - राणा

चंडीगढ़, 10 नवंबर। हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने धान के अवशेष का प्राकृतिक उर्वरक के रूप में उपयोग करने वाली टिकाऊ खेती पद्धति की सराहना की। उन्होंने इसे मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और किसानों के लिए उर्वरक लागत को कम करने में सहायक बताया। आज यमुनानगर जिले के धनुपुरा गांव में प्रगतिशील किसान प्रदीप कांबोज के खेत का दौरा कर कृषि मंत्री श्री राणा ने आधुनिक कृषि में पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों के महत्व पर जोर दिया।

मंत्री राणा ने प्रदीप कांबोज की विधि का अवलोकन किया, जिसमें वह धान के अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर गेहूं की खेती कर रहे हैं, जिससे डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती। कांबोज ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने यूरिया सहित रासायनिक उर्वरकों का उपयोग काफी कम कर दिया है, क्योंकि धान के अवशेष से मिट्टी को पर्याप्त पोषण मिलता है, और बिना डीएपी के भी अच्छी पैदावार हो जाती है। “अब मैं महंगे रासायनिक उर्वरकों पर निर्भर हुए बिना अच्छी फसल ले पा रहा हूँ,” कांबोज ने बताया, जो लागत में बचत और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार का उदाहरण है।

इस विधि की सफलता से प्रभावित होकर कृषि मंत्री ने कृषि विभाग के अधिकारियों को राज्य में इसी तरह की टिकाऊ पद्धतियों को बढ़ावा देने का निर्देश दिया। मंत्री ने कहा, “प्रदीप जैसे किसान अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी यह विधि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण से मेल खाती है, क्योंकि यह कृषि में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती है और पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान करती है।

मंत्री ने अधिकारियों को फसल कटाई के समय कांबोज के खेत पर पुनः जाकर बिना डीएपी के प्राप्त पैदावार का आकलन करने के लिए भी कहा ताकि पर्यावरण अनुकूल खेती तकनीकों को समर्थन देने के लिए ठोस डेटा जुटाया जा सके।

मंत्री ने कहा कि सरकार मशीनों के लिए सब्सिडी देने की योजना बना रही है, जिससे किसान फसल अवशेष को प्रबंधित कर सकें। साथ ही, उन्होंने फसल अवशेष न जलाने वाले किसानों के लिए आर्थिक सहायता बढ़ाने की भी बात कही, जिससे प्रदूषण को कम कर स्वस्थ कृषि वातावरण का निर्माण किया जा सके।

मंत्री ने कांबोज की इस पहल के समर्थन में खेत में ट्रैक्टर चलाया, जो टिकाऊ पद्धतियों के प्रति सरकार के समर्थन का प्रतीक था। “भारत की भूमि अत्यंत उपजाऊ है, और हमें भविष्य की पीढ़ियों के लिए अपनी मिट्टी की रक्षा और पोषण करना चाहिए। प्रदीप जैसे किसानों का काम उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से संबंधित समस्याओं से निपटने में महत्वपूर्ण है,” उन्होंने कृषि में पारिस्थितिकी संतुलन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा। 

मंत्री ने इस तरह की विधियों को अपनाने वाले किसानों को सम्मानित करने की इच्छा व्यक्त की, ताकि उनके राष्ट्रीय कृषि लक्ष्यों और पर्यावरणीय स्वास्थ्य में योगदान को उजागर किया जा सके। हरियाणा में कृषि पद्धतियों का आधुनिकीकरण जारी है और यह पहल एक मॉडल के रूप में कार्य करती है, जो दिखाती है कि पारंपरिक प्रथाओं को आधुनिक कृषि के साथ कैसे जोड़ा जा सकता है, ताकि कृषि क्षेत्र में टिकाऊ विकास और आत्मनिर्भरता हासिल हो सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © The Aan News All rights reserved. | Newsphere by AF themes.