शहरों में एसटीपी का डेटा जुटाने में जुटी सरकार

शहरों में एसटीपी का डेटा जुटाने में जुटी सरकार

शहरों में एसटीपी का डेटा जुटाने में जुटी सरकार

देहरादून, 11 सितंबर। उत्तराखंड सरकार प्रदेश के शहरों में एसटीपी पर कार्य योजना तैयार करने में जुट गई है। इसके अलावा यह भी पता लगाया जाएगा कि किन शहरों में एफएसटीपी स्थापित करने की जरूरत है।
यह निर्देश आज पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव शैलेश बगौली की अध्यक्षता में हुई एक समीक्षा बैठक में लिया गया।

बैठक के दौरान सचिव ने पेयजल निगम, उत्तराखंड जल संस्थान एवं अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श करते हुए निर्देश दिए गए कि सभी नगरों का आकलन कर, यह कार्ययोजना तैयार की जाए कि किन-किन नगरों में एसटीपी (STP) और किन नगरों में एफएसटीपी (FSTP) की स्थापना की जानी है। 

उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी नगर का सीवरेज अपशिष्ट बिना उपचारित न रहे; इसे या तो एसटीपी में अथवा एफएसटीपी/सह-उपचार (को-ट्रीटमेंट) में सेप्टेज प्रबंधन द्वारा उपचारित किया जाए। जिन नगरों में एसटीपी अथवा एफएसटीपी की आवश्यकता है, उनका विस्तृत विश्लेषण कर डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार कर ठोस कार्ययोजना बनाई जाए। साथ ही राज्य में संचालित प्रगतिशील कार्यों की प्रगति रिपोर्ट गति शक्ति पोर्टल पर अपलोड की जाए। 

बलौगी ने निर्माण कार्यों में शीघ्रता लाने तथा कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए, जिसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा नियमित निरीक्षण किए जाने की आवश्यकता बताई गई। साथ ही, छोटे और पर्वतीय नगरों में सेप्टेज प्रबंधन को प्रोत्साहित किया जाए। इसके अतिरिक्त, एसटीपी की क्षमता का परीक्षण कर यह सुनिश्चित किया जाए कि कौन-कौन से एसटीपी अपनी क्षमता के अनुसार कार्य नहीं कर रहे हैं, और इसका कारण स्पष्ट किया जाए। यह भी जांचा जाए कि एसटीपी का एफ्लुएंट (उत्सर्जन) निर्धारित मानकों के अनुरूप है या नहीं। अंततः, सभी मौजूदा एसटीपी में सह-उपचार (को-ट्रीटमेंट) सुविधाओं की स्थापना के लिए कार्ययोजना तैयार की जाए।

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